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चंदौलीराज्य/जिलाविधान सभा चुनाव

सकलडीहा विधायक प्रभुनारायण के साथ जुड़ा है अजब संयोग, जब जीते सत्ता से दूर रही सपा

चंदौली। भाजपा की लहर के दौरान भी सपा के गढ़ को महफूज रखने वाले प्रभुनारायण सिंह यादव चौथी बार विधायक बने हैं। यह उनकी लगातार दूसरी जीत है। हालांकि उनके साथ अजब संयोग जुड़ा है, जब जीते तब सपा सत्ता से दूर रही। ऐसे में जनप्रतिनिधि बनकर भी जनता की उम्मीदों पर खरा उतर पाना इस बार भी उनके लिए आसान नहीं होगा।

2012 में अस्तित्व में आई सकलडीहा विधानसभा को सपा का गढ़ माना जाता है। यहां यादव व मुस्लिम मतदाताओं की बाहुल्यता की वजह से कभी कमल नहीं खिल सका। इस बार सत्ता पक्ष ने पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इस बार भी जनता से प्रभुनारायण सिंह यादव पर ही भरोसा जताया। भाजपा प्रत्याशी सूर्यमुनी तिवारी काफी पीछे रह गए। प्रभुनारायण से पहले राउंड की मतगणना के साथ जो बढ़त बनाई, वह अंतिम तक कायम रही। 2017 के विधानसभा चुनाव में 79894 वोटों के अपने रिकार्ड तोड़ते हुए इस बार 82 हजार से अधिक वोट पाया। हालांकि उनके साथ अजब संयोग जुड़ा है। प्रभुनारायण जब भी विधायक बने, तब प्रदेश में सपा हार गई। हमेशा विपक्षी दल के विधायक बनकर ही रह गए। विधानसभा क्षेत्र में खस्ताहाल सड़कें सबसे बड़ा मुद्दा हैं। जनता ने बड़े उम्मीद से उन्हें अपना वोट देकर प्रतिनिधि बनाया है। विपक्षी पार्टी का विधायक होने की वजह से उनके लिए जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना आसान नहीं होगा।

जानिए कब-कब जीते प्रभु
सकलडीहा विधानसभा 2012 से पहले धानापुर का हिस्सा हुआ करती थी। प्रभुनारायण सिंह यादव ने सपा के टिकट पर 1995 में चुनाव लड़ा था। उन्होंने समता पार्टी के शिवकुमार सिंह को हराकर विधायकी की कुर्सी पर कब्जा जमाया। 2001 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे सुशील सिंह मात्र 38 वोटों से हराकर दोबारा विधायक बने। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सूर्यमुनी तिवारी को हराकर तीसरी बार विधायक बने। इस बार भी जनता ने उन पर भरोसा जताया है।

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