वाराणसी। मस्जिद की ओर से काशी विश्वनाथ धाम के लिए उससे सटी हुई 1700 स्क्वायर फीट जमीन दी गई है। वहीं मंदिर प्रशासन ने भी इतनी ही कीमत की 1000 वर्ग फीट जमीन बांसफाटक के पास मस्जिद को दी है। ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ धाम के बीच जमीन की अदला-बदली के मामले में नया मोड़ आ गया है। लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ (बाबा विश्वनाथ) के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने शनिवार को बताया कि प्रशासनिक अफसरों ने हिंदुओं की पीठ पर छुरा भोंका है। जो जमीन जिसकी है ही नहीं वह उसे भला किसी को दे कैसे सकता है? हम जमीन की इस अदला-बदली के निर्णय के खिलाफ अदालत जाएंगे।
काशी विश्वनाथ की ज्ञानवापी की पूरी जमीन
ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा पाठ का अधिकार देने को लेकर साल 2019 में मुकदमा दायर किया गया था। यह मुकदमा प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ की ओर से दायर हुआ था, जो अभी विचाराधीन है। मुकदमे में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड प्रतिवादी हैं। लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के वादमित्र अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वरनाथ मंदिर का एक अंश है। वहां हिंदू आस्थावानों को पूजा-पाठ, राग-भोग, दर्शन-पूजन, निर्माण, मरम्मत, पुनरोद्धार का पूरा अधिकार है।
वादमित्र ने किए हैं ये दावे
ज्ञानवापी की पूरी जमीन श्री काशी विश्वनाथ की है। प्रशासनिक अफसरों ने हिंदुओं के विरुद्ध काम किया। 1700 स्क्वॉयर फीट जिस जमीन का मालिक वक्फ बोर्ड को बताया गया उस पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी का कभी कब्जा नहीं रहा। उनसे उस जमीन से कोई मतलब भी नहीं है। पूर्व में एक मुकदमे में निर्धारित हो चुका है कि मुस्लिम समाज के लोगों का ज्ञानवापी परिसर की किसी जमीन पर कोई अधिकार नहीं है। मुस्लिम समाज के लोग सिर्फ ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज पढ़ सकते हैं।
प्रशासनिक अफसरों ने सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी का मालिकाना हक ज्ञानवापी परिसर की जमीन पर आखिरकार कैसे मान लिया। इसके साथ ही उन्हें बांसफाटक के पास 1000 स्क्वॉयर फीट जमीन कैसे दे दी। बांसफाटक में एक नया कार्यालय और एक नई मस्जिद फिर बनेगी। प्रशासनिक अफसरों ने हिंदुओं को और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को गुमराह किया है। जमीन की अदला-बदली की नकल हमने मंगवाया है। इसके बाद इस प्रकरण को लेकर हम अदालत जाएंगे और मुकदमा दाखिल करेंगे। अभी ज्ञानवापी मस्जिद का धार्मिक स्वरूप तय करने की लड़ाई कोर्ट में चल रही है तब तक अफसरों ने एक नया निर्णय ले लिया।
दो साल लग गए जमीन की अदला-बदली के काम में
अंजुमन इंतजामिया कमेटी के सचिव सईद यासीन ने शनिवार को बताया कि मंदिर और मस्जिद की अदला-बदली में दो साल का समय लग गया। मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल का कहना था कि काशी विश्वनाथ धाम के सिक्योरिटी सेटअप और आवागमन के रास्ते के लिए 1700 स्क्वॉयर फीट जमीन जरूरी है। मंडलायुक्त की पहल पर हमने मुबारकपुर, लखनऊ और देवबंद से फतवे लिए। इसके बाद शहर के मुस्लिम समाज के मानिंद लोगों की राय ली गई कि काशी विश्वनाथ धाम को जमीन देने का निर्णय कैसा रहेगा। सभी का कहना था कि बहुत अच्छा रहेगा। फिर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी सहमति जताई। फिर सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड से इजाजत ली गई और तब जाकर प्रदेश सरकार ने जमीन की अदला-बदली का निर्णय लिया। सईद यासीन ने कहा कि काशी विश्वनाथ के संबंध में अदालत में दाखिल मुकदमे से जमीन की अदला-बदली का कोई मतलब नहीं है। एक अच्छे काम में हमारी ओर से सहयोग किया गया है। प्रशासन ने भी हमें उतने ही मूल्य की जमीन सड़क किनारे दी है। हम चाहते हैं कि बनारस इसी तरह से सदैव गंगा-जमुनी तहजीब का मिसाल बना रहे और देश-दुनिया के लोगों को यहां से हमेशा अच्छी सीख मिले।
कौन होता है वाद मित्र
वाराणसी की दीवानी कचहरी के अधिवक्ता अंशुमान त्रिपाठी ने बताया कि किसी नाबालिग या किसी ऐसे पक्षकार की ओर से जो अपना पक्ष स्वतः अदालत के समक्ष नहीं प्रस्तुत कर सकता है। उसका पक्ष रखने के लिए अदालत एक व्यवस्था देती है। अदालत के सामने पक्ष रखने वाला शख्स नेक्स्ट फ्रेंड या वाद मित्र कहलाता है। इसका प्रावधान सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 में किया गया है।