वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मातृ शैक्षणिक संस्थान सेंट्रल हिंदू स्कूल के बच्चों का भविष्य अब भाग्य भरोसे लॉटरी पर निर्धारित होगा। साल 1898 में स्थापित सीएचएस में इस साल भी कोरोना महामारी का हवाला देकर ई-लॉटरी के माध्यम से ही एडमिशन लिया जा रहा है। बुधवार को बीएचयू के कृषि विज्ञान संस्थान में स्थित कृषि शताब्दी प्रेक्षागृह में कक्षा 6 से 9 तक के दाखिले के लिए लॉटरी खोले जाने के साथ ही अभिभावकों ने विरोध शुरू कर दिया। अभिभावकों ने कहा कि अंदर किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है। इसलिए गड़बड़ी की पूरी आशंका है। इसके साथ ही यह प्रक्रिया दोषपूर्ण है और इसे तत्काल रोका जाए। पिछले साल बीएचयू के कई छात्रों और परिजनों द्वारा इस लॉटरी सिस्टम का खुल कर विरोध किया गया था। मगर इस वर्ष भी कोरोना के नाम पर उसी तर्ज पर एडमिशन दिया जा रहा है। अभिभावकों का कहना है कि एक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से मेधावी छात्रों का चयन तो नहीं किया जा सकता। यह सिस्टम दोषपूर्ण है और इसमें यह भी संभावना है कि रसूखदारों के बच्चों का एडमिशन ले लिया जाए।
बच्चों की जिंदगी से कोई समझौता नहीं कर सकते
बीएचयू के एक अधिकारी से इस मसले पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि ई-लॉटरी सिस्टम कंप्यूटर सेंटर द्वारा हाई क्वालिटी का सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ है। जो एडमिशन की प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी बनाता है। कोविड के दौरान विश्वविद्यालय बच्चों की जिेंदगी के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहता। इसलिए स्थिति में जब सुधार होगी तो प्रवेश परीक्षा के माध्यम से ही एडमिशन लिया जाएगा।