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कोरोना काल में संगीत बढ़ाएगा रोग प्रतिरोधक क्षमताः डॉ रितु सिंह

मिर्जापुर। संगीत वर्तमान परिदृश्य में सकारात्मक ऊर्जा का संवाहक है। यह वैश्विक महामारी कोरोना काल में मानसिक समस्याओं से निजात दिलाएगा। यह कहना है कि कमला आर्य कन्या पीजी कॉलेज, मिर्जापुर असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रितु सिंह का। बताया कि वर्तमान परिदृश्य में जहां संपूर्ण विश्व कोरोना जैसी प्राणघातक महामारी का सामना कर रहा है तथा अपनों को खो देने वाली भयावह स्थिति से जूझ रहा है, ऐसी विषम परिस्थिति में शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति का होना अति आवश्यक है। क्योंकि हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता जितना ज्यादा रहेगी उतना ही शरीर मजबूत रहता है और शरीर को कोरोना जैसे संक्रमित रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है।

मानसिक तनावों से बचाता है संगीत
डा. सिंह कहती हैं कि हालांकि आजकल के खानपान और गलत जीवन शैली के कारण हमारा इम्यून सिस्टम ( रोग प्रतिरोधक तंत्र ) इतना मजबूत नहीं रह पाता कि वह रोगों से लड़ सके, जिसके कारण हमारा शरीर जल्द ही अनेक रोगों से घिर जाता है। वर्तमान समय में जब हम सब कोविड-19 के दुष्प्रभाव के कारण लॉकडाउन की स्थिति में अपने-अपने घरों में बंद है तो ऐसी विषम परिस्थिति में मानसिक दबाव से हमारी मनःस्थिति पर पर काफी बुरा असर पड़ रहा है । जिसके परिणामस्वरूप हम खुद में तनाव, अनिद्रा इत्यादि मानसिक विकारों के गिरफ्त में आते जा रहे हैं । इस स्थिति में कोविड-19 से बचाव के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में संगीत प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली औषधि का काम कर रहा है । प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में संगीत एक ऐसा सशक्त माध्यम है, जो व्यक्ति को शारीरिक एवं मानसिक रोगों व व्याधियों से मुक्ति प्रदान करता है । संगीत अवसाद, विषाद, दबाव, प्रतिबल आदि मानसिक विकृतियों के मनोभाव, आवेश, संवेद, चित्त, क्षोभ को दूर करके व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ बना नई उर्जा का मस्तिष्क में संचार करती है।

शोध में भी हो चुका है सिद्ध
शोध के पश्चात वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया है कि संगीत के माध्यम से निकली हुई तरंगे हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संवहन करती हैे। संगीत सुनने मात्र से ही विचलित व्यक्ति में हर्ष के मनोभाव संवेग उत्पन्न होते हैं जो नकारात्मक विचारों को साफ करके नई सकारात्मक ऊर्जा द्वारा उमंग के साथ जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है। संगीत का मानव जीवन से बहुत गहरा रिश्ता है। जन्म के समय सोहर और अंत समय रामधुन सब संगीत है। संगीत में साजे-ए-जिंदगी सवरती है। मौसिकी से सुकून मिलता है। सुर लहरियों में स्वस्थ जीवन की कुंजी है। संगीत सिर्फ मनोरंजन नहीं अपितु मानसिक स्वास्थ्य का आधार है। संगीत का अपना ही मनोवैज्ञानिक असर होता है। आशावादी गीत सकारात्मकता का संचार करते हैं। वर्तमान समय में जब पूरा विश्व इस कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से जूझ रहा है, तो ऐसे प्रतिकूल परिस्थिति में संगीत सकारात्मक आत्मछवि का निर्माण कर जीवन को शारीरिक व मानसिक समस्याओं का सामना करने की नीतिगत विचार तकनीक सिखाता है। जिससे हमारा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है तथा संगीत ध्यान को स्थिर करके श्वांस की निश्चित स्थिर गति योग अचेतन मस्तिष्क की मधुर तरंगों को उदिप्त करती है जिससे मनुष्य का ऑक्सीजन लेवल स्थिर होता है। अतः वर्तमान की प्रतिकूल परिस्थितियों में घर पर रहकर ही हमें अपने आप को सकारात्मक रखते हुए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कई गुना तेजी से बढ़ाने के लिए संगीत को एक औषधि के रूप में अपनाना चाहिए।

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