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तस्करी का जंक्शन पार्ट-2ः हर बैग का रेट तय, दुकानों का कोड, जानिए किन रास्तों से ट्रेनों तक पहुंचती है शराब

चंदौली। एशिया के सबसे बड़े यार्ड की पहचान बदल रही है। शराब माफियाओं ने सिस्टम की खामी का फायदा उठाते हुए डीडीयू जंक्शन को अवैध शराब तस्करी का हब बना दिया है। खाकी और खादी के संरक्षण में तस्करी का यह धंधा दिन दूना और रात चौगुना की गति से बढ़ रहा है। बहरहाल शराब तस्करी को लेकर जारी पड़ताल में हमने जानने का प्रयास किया कि आखिर अत्याधुनिक कैमरों से लैस होने और जीआरपी व आरपीएफ की निगरानी के बाद भी कैसे शराब ट्रेनों तक पहुंच जा रही है।

इन मार्गों के जएि ट्रेनों तक पहुंचती है अवैध शराब
सबसे पहले यह जान लें कि डीडीयू नगर में संचालित कुछ शराब की दुकानों से ही शराब तस्करी कर बिहार पहुंचाई जा रही है। प्रत्येक दुकान का एक कोड होता है। जो शराब माफियाओं और इस अवैध कार्य में लिप्त जीआरपी के कर्मियों को पता रहता है। इससे तय होता है कि किस दुकान का माल ट्रेन में जा रहा है। अधिकांशतः पिट्ठू बैग और ट्राली बैग के जरिए ही शराब की तस्करी की जाती है। एक बैग का रेट दो हजार से 2200 रुपये निर्धारित रहता है। इसका बड़ा हिस्सा जीआरपी को जाता है। दिन का हिसाब शाम को और रात का लेखा जोखा सुबह तक कारखास के जरिए जिम्मेदारों तक पहुंच जाता है। पार्सल गेट, आरआरआई केबिन, पुलिस कालोनी और लोको कालोनी के रास्ते तस्कर शराब के साथ ट्रेनों में चढ़ते हैं। वैसे तो स्पेशल ट्रेनों सहित कई ट्रेनों के जरिए यह काम किया जाता है लेकिन बुध पूर्णिमा, जोगबनी, महानंदा, महाबोधी, उड़ीसा संपर्क क्रांति, सिकंदराबाद दानापुर, दुरंतो, राजेंद्र नगर संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस से सर्वाधिक तस्करी की जा रही है। जीआरपी के कारखास इन गतिविधियों में लिप्त रहते हैं।

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