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चंदौली। चंदौली में अधिवक्ता संशोधन कानून 2025 के खिलाफ अधिवक्ताओं का विरोध लगातार दूसरे दिन भी तेज हो गया। शुक्रवार को अधिवक्ता कलेक्ट्रेट तक जुलूस निकालकर नारेबाजी करते हुए पहुंचे और एसडीएम को अपने विरोध पत्र सौंपा। इस दौरान अधिवक्ताओं ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। डिस्ट्रिक्ट डेमोक्रेटिक बार भवन में अधिवक्ताओं ने प्रेस वार्ता भी की, जिसमें उन्होंने आगामी दिनों में आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी।
बार के पूर्व महामंत्री झन्मेजय सिंह ने कहा कि इस संशोधन विधेयक के माध्यम से अधिवक्ताओं के हित, स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों को कुचला जा रहा है। उन्होंने बताया कि विधेयक की धारा चार में एक नई उपधारा (डी) डाली गई है, जिसके तहत अब बार काउंसिल ऑफ इंडिया अपने फैसले या निर्देश नहीं दे सकेगी, बल्कि केंद्र सरकार के नामित सदस्य भी उसमें शामिल होंगे। इससे बार काउंसिल की स्वतंत्रता पर हमला होगा।
अधिवक्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार अधिवक्ताओं की हड़ताल पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रही है और यदि कोई अधिवक्ता तीन साल या उससे अधिक सजा का दोषी पाया जाता है, तो उसे मिस कंडक्ट मानते हुए उसकी सदस्यता रद्द की जाएगी। इसके अलावा, विधेयक के तहत विदेशी कानून फर्मों और अधिवक्ताओं को देश में वकालत करने की अनुमति दी जा रही है, जो भारतीय कानून व्यवस्था पर खतरा उत्पन्न करता है।
अधिवक्ताओं का कहना है कि केंद्र सरकार इस विधेयक के माध्यम से बार काउंसिल के अधिकार छीनकर तानाशाही रवैया अपना रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर जरूरत पड़ी, तो दिल्ली तक न्याय यात्रा निकाली जाएगी। इस विरोध प्रदर्शन में बार अध्यक्ष अमरेंद्र प्रताप सिंह, महामंत्री राघवेंद्र प्रताप सिंह, संतोष सिंह, राजबहादुर सिंह और राम प्रकाश मौर्य समेत कई अन्य अधिवक्ता उपस्थित थे।