चंदौली। इत्मिनान रखिए अभी राजनीति के कई रंग देखने को मिलेंगे। विधान सभा चुनाव नजदीक आ रहा है तो नेता गरीबों को कंबल भी बांटेंगे और सिर पर या ट्रैक्टर पर धान का बोरा ढोते भी नजर आएंगे। यही नहीं किसानों और बेरोजगारों के समर्थन में जेल जाने से भी गुरेज नहीं करेंगे। दरअसल नेता जानते हैं कि विधानसभा जाने का एक रास्ता जेल से होकर भी गुजरता है। लिहाजा वह सबकुछ देखने को मिलेगा जो पिछले तीन या चार सालों में नहीं दिखा।
एक पूर्व विधायक ने तो लगे हाथ इसकी शुरुआत भी कर दी। सैयदराजा में गरीबों और निराश्रितों को चुनावी कंबल ओढ़ा दिया। टिकट कंफर्म होने में कोई दिक्कत न हो इसलिए इस आयोजन को अपने नेता जी की प्रेरणा से जोड़ दिया। वैसे पूर्व विधायक पार्टी के राष्ट्रीय सचिव भी हैं लेकिन इनका राष्ट्र सैयदराजा विधानसभा तक ही सिमट कर रह गया है। चाहे आंदोलन हो या आयोजन इनका दायरा सैयदराजा विधानसभा से आगे नहीं बढ़ पाता है। अब चुनाव यहीं से लड़ना है तो कहीं और समय और धन खर्च करने की क्या आवश्यकता है। यही वजह है कि पार्टी के अन्य नेता भी इन्हें सैयदराजा का नेता ही मान कर चलते हैं और उसी हिसाब से मान सम्मान भी मिलता है। हालांकि पूर्व विधायक अभी जो कर रहे हैं वह तरकीब पांच छह वर्ष पहले आजमा चुके हैं। तब नए थे तो जनता ने आसानी से भरोसा कर लिया। लेकिन निर्दल चुनाव जीतने के बाद सत्ता के रथ पर सवार हो गए। आंख पर जब सत्ता का चश्मा चढ़ा तब न तो किसानों और बेरोजगारों की समस्या नजर आई ना ही गरीबों का दर्द। लिहाजा जनता ने भी नेता जी को उनकी पुरानी जगह दिखाने में संकोच नहीं किया। अब जब कि चुनाव नजदीक आ गए हैं तब नेता जी फिर से गरीबों और मजलूमों के हितैषी बन रहे हैं। लेकिन यह पब्लिक है सब जानती है…।
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