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वाराणसी

रंगभरी एकादशी : भोलेनाथ संग मां गौरा पहुंची ससुराल, काशीवासियों संग खेलें अबीर-गुलाल, दर्शन को उमड़े भक्त

वाराणसी। रंगभीर एकादशी पर काशीवासी अद्भुत क्षटा के शाक्षी बनें। बाबा भोलेनाथ मां गौरा की विदाई कराकर काशी विश्वनाथ मंदिर में विराजे। महंत आवास से लेकर मंदिर परिसर तक भव्य शोभायात्रा निकाली गई। गाना बजाकर नाचकर जश्न मनाया गया।

पालकी में सवार मां गौरा और बाबा विश्वनाथ की प्रतिमाओं के भक्तों ने दर्शन किए। काशी की गलियों में मथुरा से आए अबीर और गुलाल की होली खेली गई। हर-हर महादेव के जयघोष से गलियां गूंज उठीं। शोभायात्रा जब हरिश्चंद्र घाट पर पहुंची तो भोले बाबा और मां पार्वती ने जलती चिताओं के बीच भस्म की होली खेली।

महादेव की पंचबदन रजत चल प्रतिमा को हर श्रद्धालु रंग लगाने को आतुर दिखा। इसी के साथ भोले की नगरी में 4 दिवसीय होली उत्सव की शुरुआत हो गयी। बाबा विश्वनाथ की इस अध्भुत छटा देखने के लिए महंत आवास टेढ़ी नीम से विश्वनाथ धाम तक लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा।

काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक पंडित श्रीकांत महराज ने बताया कि फाल्गुन शुक्ल-एकादशी को रंगभरी एकादशी कहा जाता है। इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष शृंगार होता है और काशी में होली का पर्वकाल शुरू हो जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रंगभरी एकादशी के दिन ही भगवान शिव माता पार्वती से विवाह के बाद पहली बार काशी नगरी आये थे।

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