
वाराणसी। रंगभरी एकादशी पर मणिकर्णिका घाट पर चक्रपुष्करिणी तीर्थ में स्थित उत्तराभिमुख गोमुख के दर्शन होंगे। रंगभरी एकादशी पर वाराणसी ही नहीं देश भर से श्रद्धालु गोमुख व कुंड के दर्शन के लिए मणिकर्णिका घाट आते हैं। मणिकर्णिका चक्रपुष्करिणी तीर्थ (कुंड) का वार्षिक श्रृंगार परंपरानुसार 3 मार्च को रंगभरी एकादशी की रात होगा।
काशी तीर्थ पुरोहित सभा की ओर से होने वाले आयोजन की तैयारियां शुरू हो गई हैं। सभा के अध्यक्ष व कुंड के प्रधान तीर्थ पुरोहित पं मनीष नंदन मिश्र ने बताया कि तीर्थ चक्र रंगभरी एकादशी के दिन काशी तीर्थ पुरोहित सभा की ओर से मां मणिकर्णिका का षोडशोपचार विधि से पूजन किया जाएगा। साथ ही गुलाल सहस्त्रार्चन व वृहद श्रृंगार के बाद महाआरती की जाएगी।
21 वैदिक आचार्यों के आचार्यत्व में रुद्री पाठ का आयोजन भी होगा। महाश्रृंगार की झांकी रात 8 बजे से शुरू होगी जिसका दर्शन रात्रिपर्यंत चलेगा। इस अवसर पर कुंड में स्थित उत्तराभिमुख गोमुख का भी दर्शन होगा। तीर्थ पुरोहित ने बताते हैं कि यह कुंड मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरित होने के पहले से मणिकर्णिका कुंड तीर्थ काशी में है।
अनादिकाल में भगवान विष्णु ने अपने चक्र से इसका निर्माण किया था। उसके बाद भगवान विष्णु ने यहां पर 60 हजार वर्षों तक तपस्या की थी। इस दौरान उनके तन से निकले पसीने से कुंड भर गया। मान्यता है कि कुंड के जल का स्त्रोत हिमालय से आता है।