जय तिवारी की रिपोर्ट
चंदौली। इसे भ्रष्टाचार नहीं तो और क्या कहेंगे। जो पैसा रेलवे के खजाने में जाना चाहिए वह कुछ भ्रष्ट लोगों की जेब में जा रहा है। शुरुआत मुगलसराय जंक्शन पर जारी अवैध वेंडरिंग से। रेलवे कोविड के बुरे दौर से निकलने की तैयारी कर रही है। ट्रेनों का परिचालन पटरी पर लौटने लगा है। इसी के साथ डीडीयू स्टेशन पर अवैध वेंडरिंग भी शुरू हो गई है। यह ऐसा पुराना मर्ज है जो कभी समाप्त हुआ ही नहीं। देश के इस नामचीन जंक्शन पर अवैध कमाई के बेहिसाब रास्ते कुछ भ्रष्ट जीआरपी, आरपीएफ और रेल कर्मचारियों को ललचाते रहते हैं। यही वजह है कि ऊपर तक जुगाड़ लगाकर जीआरपी के आधा दर्जन कर्मचारी वर्षों से यहीं जमे हुए हैं। इंस्पेक्टर से लेकर कांस्टेबल तक तीन वर्षों से ज्यादा समय से यहीं खूंटा गाड़े हुए हैं।
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अवैध वेंडरिंग, रेल टिकट में दलाली, कोयला चोरी, तेल चोरी जैसे अवैध धंधे डीडीयू जंक्शन के लिए कोढ़ बने हुए हैं। ना तो कभी रेल का चक्का रुका ना ही अवैध धंधे बंद हुए। बाद दीगर है कि महकमे में कोई सख्त अधिकारी आ गया तो धंधा कुछ दिनों के लिए मंदा जरूर हो जाता है लेकिन कभी बंद नहीं होता। अवैध वेंडरिंग से रेलवे को लाखों रुपये का चूना लगता है और यही पैसा भ्रष्ट कर्मचारियों की जेब में जाता है।
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डीडीयू स्टेशन पर चहल-पहल शुरू होने के साथ अवैध वेंडर भी सक्रिय हो गए हैं। बगैर वर्दी और बिल्ला लगाए रेल यात्रियों को सामान बेचते देखे जा सकते हैं। यूं तो पूरा जंक्शन अत्याधुनिक सीसी टीवी कैमरों से लैस है लेकिन इसकी आमद जीआरपी और आरपीएफ को नजर नहीं आती है। बहरहाल देखना यह है कि महकमा अवैध धंधे के इस खेल को किस तरह लेता है। क्या जीरो टालरेंस की सरकार की नीति भ्रष्ट कर्मचारियों पर नकेल कसने में कारगर साबित होगी।