चंदौली। लोको कोलोनी के जिस कमरे में 23 वर्षीय खुशबू की हत्या हुई वह रेलवे का सरकारी क्वार्टर था। पुलिस ने हत्यारोपी को पकड़कर हत्याकांड का राजफाश तो कर दिया लेकिन इस घटना के साथ पीडीडीयू रेल महकमे का बड़ा भ्रष्टाचार भी उजागर हो गया। सरकारी आवास गैर सरकारी व्यक्ति को कैसे मिला यह बड़ा सवाल है। हालांकि रेल कालोनियों के लिए यह नई बात नहीं है। यहां बड़ी संख्या में गैर अधिकृत लोग रहते हैं। कर्मचारियों, रेल सुरक्षा तंत्र और कुछ भ्रष्ट अधिकारियो की शह पर यह खेल वर्षों से चलता चला आ रहा है। अब जबकि इस बड़ी घटना के साथ विभाग की पोल खुली है तो अधिकारी एक्शन मोड में आ गए हैं। जिस कर्मचारी के नाम से क्वार्टर आवंटित किया गया था उसे निलंबित करने के साथ ही जांच बैठा दी गई है। डीआरएम ने बताया कि लोको कालोनी सहित सभी रेल कालोनियों का सर्वे कराया जाएगा। अवैध तरीके से रह रहे लोगों को बाहर करने के साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।
पीडीडीयू रेलवे की कालोनियां अवैध गतिविधियों का बहुत बड़ा हब बनती जा रही हैं, जो रेलवे की सुरक्षा के लिए भी खतरा है। रेल कर्मचारियों को जो आवास आवंटित होते हैं वे उन्हें गैर सरकारी कर्मचारियों को किराए पर दे देते हैं। रेल आवासों को किराए पर देने के खेल में कुछ अधिकारी भी सीधे तौर पर शामिल रहते हैं। इस अवैध कमाई का कुछ हिस्सा आरपीएफ तक भी पहुंचता है इसलिए रेल सुरक्षा तंत्र भी मौन साधे रहता है। जब शिकायतें बढ़ती हैं तो एकाध के खिलाफ कार्रवाई कर मामले की इतिश्री कर दी जाती है।
हत्याकांड के बाद बड़े एक्शन के मूड में नजर आ रहा रेल महकमा
रेल क्वार्टर में दाना भुनने वाले की पुत्री की हत्या के बाद रेल महकमा बड़े एक्शन केे मूड में नजर आ रहा है। डीआरएम राजेश कुमार पांडेय और आरपीएफ कमांडेंट जनित बी राज ने पूर्वांचल टाइम्स को बताया कि इस घटना को गंभीरता से लिया गया है। जिस क्वार्टर में युवती की हत्या हुई उस आवास में रहने वाले कर्मचारी को निलंबित कर जांच बैठा दी गई है। पूरी कालोनी का सर्वे कराकर उसमें रह रहे लोगों की जांच की जाएगी। यदि किसी कर्मचारी ने आवास किराए पर दिया है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। एक-एक कर सभी रेल कालोनियों का सर्वे कराया जाएगा। अनियमितता मिलने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। अब देखना यह है कि महकमे के आलाधिकारी कर्मचारियों की गरदन नापकर ही मामले को रफा-दफा कर देते हैं या भ्रष्टाचार की इस जड़ में शामिल अधिकारियों पर भी गाज गिरती है।