
गाजीपुर। फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने का मामला तो कई बार सामने आ चुका है, लेकिन फर्जी प्रमाण पत्र पर ग्राम प्रधानी भी की जा रही है। वह भी एक दो साल नहीं बल्कि 15 वर्ष तक। जी हां, गाजीपुर जनपद के सादात ब्लाक अन्तर्गत बेलहरा गांव के पूर्व प्रधान दंपती के खिलाफ ऐसा ही मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि उन्होंने अनुसूचित जाति का फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर 15 साल तक प्रधानी की है। उनके खिलाफ न्यायालय के आदेश पर भुड़़कुड़ा कोतवाली पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस मामले की छानबीन में जुट गई है।
गाजीपुर के बहरियाबाद थाना क्षेत्र के बेलहरा गांव निवासी रविप्रताप मौर्या ने आरोप लगाया है कि बेलहरा गांव निवासी दीनानाथ व उनकी पत्नी कुसुम कहार जाति के हैं। वर्ष 1995 में ग्रामप्रधानी के चुनाव में मैदान मारने की नियत से दीनानाथ ने अपनी पत्नी कुसुम देवी का खरवार (अनुसूचित जाति) जाति का फर्जी प्रमाणपत्र गोलमाल कर बनवा लिया।
आरोप लगाया कि उसी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर कुसुम देवी वर्ष 1995 में चुनाव जीतकर प्रधान बन गईं। दोबारा 2005 में प्रधान निर्वाचित हुईं। दस वर्षों तक उन्होंने फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर प्रधानी की। इसके बाद उनके पति दीनानाथ 2005 में चुनाव लड़े और जीत कर प्रधान बने और 2010 तक उन्होंने भी फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर ही प्रधानी की।
बेलहरा गांव के भगवान राम ने इनके जाति प्रमाणपत्र की जांच हेतु प्रार्थनापत्र दिया। 16 अप्रैल 2001 को कुसुम देवी का जाति प्रमाणपत्र तहसीलदार जखनियां द्वारा निरस्त कर दिया गया। अनुसूचित एवं जनजाति आयोग द्वारा भी जांच की गई। आयोग द्वारा डीएम की आख्या का अवलोकन करते हुए कुसुम देवी को कहार जाति व पिछड़ी जाति का माना और अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र निरस्त किए जाने की सूचना भगवान राम को दी गई। भगवान राम द्वारा पूर्व प्रधान दपंती के खिलाफ कार्रवाई के लिए आगे कोई पहल नहीं की गई। इसका फायदा उठाकर 2005 में फर्जी जाति प्रमाणपत्र का उपयोग कर दीनानाथ पुनरू प्रधानी लड़े।
फिलहाल न्यायालय के आदेश में बीते दिनों पूर्व प्रधान कुसुम देवी एवं उनके पति दीनानाथ के खिलाफ भुड़कुड़ा थाना में धारा 419, 420, 467, 468 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। भुड़कुड़ा थाना के प्रभारी निरीक्षक अनुराग कुमार ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर मामले की गहन जांच पड़ताल की जा रही है।