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पुलिस वसूली लिस्ट की विजिलेंस जांच शुरू, सच, झूठ से उठेगा पर्दा

जय तिवारी की रिपोर्ट

चंदौली। वरिष्ठ आइपीएस अमिताभ ठाकुर ने मुगलसराय कोतवाली पुलिस की कथित वसूली लिस्ट को सोशल मीडिया पर सार्वजनिक कर महकमे में खलबली मचा दी है। भ्रष्टाचार से जुड़े इस मामले पर पूरे प्रदेश की निगाह टिक गई है। जनपद पुलिस हटो-बचो की भूमिका में नजर आ रही है। लेकिन विजिलेंस ने मामले को अपने हाथ में लेते हुए गोपनीय जांच शुरू कर दी है। जांच से जुड़े अधिकारी तीन दिन से जनपद में आ रहे हैं। सूची को वायरल करने में जिनका नाम सामने आ रहा है उन आरक्षियों अनिल सिंह, सौमित्र मुखर्जी सहित कई पुलिसवालों और कुछ अन्य लोगों के बयान लिए गए हैं। जांच और मामले में शासन की गंभीरता ने पुलिसवालों की धुकधुकी बढ़ा दी है।

आईजी ने विभागीय जांच पर कसा तंज
पुलिस वसूली लिस्ट वायरल होने के बाद एसपी हेमंत कुटियाल ने एएसपी प्रेमचंद को जांच सौंपी है। लिस्ट में पुलिस को महीना देने वालों में जिनका नाम शामिल हैं उनसे पूछताछ कर ली गई है। किसी ने धन देने की बात स्वीकार नहीं की है। इसी के आधार पर जांच अधिकारी तकरीबन नजीते की ओर पहुंच चुके हैं। हालांकि जांच की इस प्रक्रिया पर आईजी नागरिक सुरक्षा अमिताभ ठाकुर तंज कस चुके हैं। अपने फेसबुक वाल पर वसूली लिस्ट और एक दैनिक अखबार में छपी जांच संबंधी खबर को पोस्ट करते हुए लिखा है कि थाना मुगलसराय चंदौली के कथित वसूली लिस्ट के जांच अधिकारी, अब इसपर क्या टिप्पणी करूं।

क्या है पूरा मामला
बीते दिनों आईजी नागरिक सुरक्षा अमिताभ ठाकुर ने अपने फेसबुक वाल पर एक पन्ने की लिस्ट की फोटो पोस्ट करते हुए इसे मुगलसराय कोतवाली पुलिस की वसूली लिस्ट बताया। उन्होंने डीजीपी यूपी एचसी अवस्थी को मुगलसराय कोतवाली की कथित वसूली लिस्ट संलग्न कर लिखा कि इस हैंडरिटेन लिस्ट से टोटल प्रति माह की वसूली 35.64 लाख के अलावा 15 व्यक्तियों से अवैध खनन से 12500 प्रति वाहन तथा पडवा कट्टा का काम करने वाले कबाड़ी से 4000 प्रति वाहन होता है. इसमें गांजा दूकान का 25 लाख भी शामिल है. उन्होंने इन तथ्यों की गहन जाँच की मांग की थी। इसी के बाद पूरे महकमे में भूचाल आया हुआ है। कहा जा रहा है कि इस लिस्ट को सार्वजनिक करने वाले पुलिस के ही कांस्टेबल हैं, जो महकमें की कार्यप्रणाली से भलीभांति परिचित हैं।

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