वाराणसी। कोरोना ने विश्व विख्यात रामनगर की रामलीला और चेतगंज की नक्कटैया पर ग्रहण लगाकर आस्थावानों को सदमे में डाल दिया है। करीब तीन सौ साल से आस्था का केंद्र रही रामनगर की रामलीला पर कोराना ने करीब करीब एकदम से ग्रहण लगा दिया है तो वहीं 133 वर्ष पुराने लक्खा मेले में शुमार चेतगंज की नक्कटैया पर भी संशय के बादल मंडरा रहे हैं। वाराणसी और आसपास के मदिरों और आस्था के अन्य केंद्रों के धीरे धीरे खोले जाने से एकबारगी आस्थावानों को लगा था कि रामलीला और नक्कटैया का आनंद वे ले सकेंगे मगर उनकी उम्मीद पर पानी फिर गया जिससे खासकर लीलाप्रेमी काफी दुखी हैं।
करीब छह महीने से मंदिर मस्जिद से दूर रहे प्रेमियों को रामनगर की रामलीला में अपने आराध्य के दर्शन-पूजन की उम्मीद थी लेकिन उस समय उन्हें बडा झटका लगा जब गुरुवार की देर शाम दुर्ग प्रशासन की ओर से सूचना जारी कर दी गई कि विश्व विख्यात रामनगर की रामलीला इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते नहीं होगी। रामलीला समिति से जुड़े डॉ. जयप्रकाश पाठक ने बताया की रामनगर की रामलीला नहीं होगी। लीला प्रेमियों से कोरोना से बचाव व सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अपने घरों से ही प्रभु का ध्यान करने का आग्रह किया है।
नक्कटैया पर भी संशय
बतादें कि चेतगंज की विश्व विख्यात नक्कटैया के आयोजन पर भी संशय के बादल छाए हुए हैं। हालांकि आयोजन होगा या नहीं इसको लेकर रविवार को श्रीचेतगंज रामलीला समिति के पदाधिकारियों की बैठक होगी। इसमें कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए आयोजन करने को लेकर निर्णय लिया जाएगा। अब निर्णय क्या होता है यह तो बाद की बात है लेकिन कोरोना की काली छाया ने धर्म की नगरी काशी में इस वर्ष कई परंपराएं तोड दी हैं। कई धार्मिक आयोजन स्थगित करने पड़े हैं।
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