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राज्य/जिलावाराणसी

वाराणसीः अब पंखे जितनी बिजली की खपत में एसी का आनंद

वाराणसी। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी बीएचयू) के साइंटिस्ट ने कम खर्च में एसी की कूलिंग संभव कर दी है। अब कूलर के दाम पर एयर कंडीशनर जैसी ठंडी हवा मिल सकेगी। बिल की टेंशन भी परेशान नहीं करेगी। क्योंकि डिवाइस को इस्तेमाल करने पर बिजली का बिल एक पंखे के बराबर ही आएगा। यह डिवाइस बाहर की गर्म हवा को सिस्टम में लेकर गर्मी और नमी, दोनों को फिल्टर करके सिर्फ ठंडी हवा को ही रूम में भेजता है। इस तकनीक की खोज आईआईटी बीएचयू में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक डॉ. जहर सरकार और उनके रिसर्च स्कॉलर सर्वेश कश्यप ने की है। छह महीने में उन्होंने लैब में यह डिवाइस तैयार किया है। डॉ. सरकार ने बताया कि यह कूलिंग मशीन इवेपोरैटिंग (वाष्पीकरण) तकनीक पर काम करती है। इस डिवाइस में पतली-पतली पाइप के 10 चौनल लगाए गए हैं। इनमें पांच चौनल से पानी गुजरता है। वहीं बाकी के पांच चौनल से कमरे में ठंडी हवा का प्रवेश होता है। यह ठंडी हवा डिवाइस में सबसे ऊपर लगे दो छोटे पंखों के सहारे कमरे में आती। सबसे खास बात यह है कि वह हवा एकदम सूखी होती है। उसमें पानी की मात्रा का प्रतिशत शून्य होता है। इससे कमरे में बाहरी वातावरण की ह्यूमिडिटी प्रवेश नहीं कर पाती है। वहीं डिवाइस और कमरे में ह्यूमिडिटी पहले से है। उसे एग्जॉस्ट के जरिए बाहर कर दिया जाता है।डिवाइस को पेटेंट कराने की तैयारी चल रही है। जिसके बाद भारत सरकार की किसी कंपनी को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की जाएगी। डॉ. सरकार का कहना है कि इस डिवाइस को घरेलू उपयोग के साथ रेलवे में भी लागू करना फायदेमंद होगा। अगर रेल की बोगियों में लगे एसी इससे रिप्लेस किए जाते हैं। तो इंडियन रेलवे को फायदा होगा। एयर कंडीशनर से निकलने वाली ग्रीन हाउस गैस के नुकसान से भी पर्यावरण को बचाया जा सकेगा। लैब में स्टील बॉडी से इसका प्रोटोटाइप (नमूना) तैयार किया गया है। जिसका खर्च सिर्फ 10 हजार रुपए आया है। बड़ी संख्या में उत्पादन करने पर इसकी लागत आधी भी हो सकती है। इस डिवाइस को मई-जून की तपती गर्मी और जुलाई-अगस्त के उमस भरे मौसम के बारे में विचार करने के बाद बनाया गया है। डिवाइस को कूलर की तरह खिड़की या दीवार के बाहर फिट कर सकेंगे। मिनिमम टेम्परेचर 20° डिग्री तक ही एक टन की एसी में हर घंटे एक किलोवाट बिजली की खपत होती है। वहीं इस डिवाइस को सिर्फ 100 वाट बिजली की जरूरत है। इसके साथ ही इसका टेम्परेचर मिनिमम 20 डिग्री सेल्सियस तक रखा जा सकता है। मानव शरीर के लिहाज से इससे कम तापमान स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता। इस डिवाइस को कूलर की तरह खिड़की या दीवार के बाहर फिट कर सकेंगे। रूम में इसका केवल पंखे वाला भाग ही खोला जाएगा। वहीं इसमें रोजाना चार लीटर पानी भी पाइप के सहारे डालना होगा। आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन का कहना है कि ग्लासगो के कॉप-26 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्लीन एनर्जी और कार्बन उत्सर्जन पर दुनिया के सभी देशों को एक साथ चलने की बात की थी। ऐसे में आईआईटी बीएचयू में विकसित यह तकनीक बड़े स्तर पर एमिशन को रोकेगी। इस डिवाइस से पावर कंजप्शन कम होगा तो बिजली भी सीमित मात्रा में बनेगी। ग्लोबल वार्मिंग कम होगा। यह डिवाइस खर्चों को बचाने के साथ ही इकोफ्रेंडली भी है।

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